Sunday, February 19, 2017

Bhand Deval Temple Arang (भाण्ड देवल बाघ देवल मंदिर आरंग)

रायपुर से संबलपुर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग  क्रमांक ६ पर रायपुर से ३६ कि.मी  दूरी पर आरंग स्थित है जो रायपुर जिले में आता है| 
Bhand Deval Arang
भाण्ड देवल मंदिर

 आरंग एक प्राचीन नगरी है|  इसकी प्राचीनता वहा पर स्थित अति प्राचीन  मंदिरों मूर्तियों ,मंदिरों में महीन नक्कासी और ताम्रपत्र अभिलेखों  से मालूम होती है| आरंग महाभारत कालीन महान धर्म निष्ठ राजा  मोरजध्वज  कि नगरी थी| उसने अपने साशन काल में अनेक मंदिर का निर्माण कराया था जिसके अवसेश अभी भी मिलती है |
वैसे तो आरंग में अनेक मंदिर है| पर सबसे ज्यादा शिवलिंग को देखा जा सकता है  उसमे से मुख्य रूप से मंदिर   ( भाण्ड देवल मंदिर ,बाघ देवल मंदिर ,महामाया माता मंदिर ,चंडी  महेश्वरी  मंदिर पंचमुखी महादेव और पंचमुखी हनुमान मंदिर मुख्य रूप से है )
इनमे से सबसे प्राचीन  ( भाण्ड देवल मंदिर को कहा जा सकता है ) इसका निर्माण  मंदिर परिसर पर पुरातत्विक विभाग द्वारा लगाये सूचना से मिलती है| सूचना के अनुसार

Bhand Deval Jain temple

यह मंदिर भाण्ड देवल नाम  से विख्यात  यह मंदिर जैन धर्म को समर्पित है|  मंदिर के गर्भ गृह  में तीन तीर्थकार कि अति सुंदर चमक दार  कायोत्सर्ग मुद्रा वाली प्रतीमाये अधिष्ठित  है| यह मंदिर पश्चिम मुखी  मंदिर उची जगती पर निर्मित है| तथा  आधार  विन्यास  में  पंचरथाकार है| नागरशैली में निर्मित  इस मंदिर के मण्डप  एवं  मुख मंडल  का आधार से उपर का भाग विनष्ट  हो चूका है मंदिर कि बाह  भित्ति अधिष्ठित से लेकर आमलक तक  उरूश्रृंगो  व कुलिकाओ से अलंकृत  है| जिसमे जैन  तीर्थकार   यक्ष - यक्षिणी व देव प्रतिमाये  के अतिरिक्त अलिंगनरत ,मिथुन  मूर्तियों का भी उत्कीर्णन  किया गया है| अधिष्ठान  भाग कि सज्जा  पांच पट्टिकाओ  हंसवाली ,नृत्य -संगीत के दृश्य,कीर्तिमुख एवम  ज्यामिति अभीप्राय के अंकनो  से  युक्त  है| कला कि दृष्टी से इसको 9 वी  शती ई में (हैयत वंशीय)  शासको द्वारा   निर्मित माना  जाता है |
बागेश्वर नाथ महादेव मंदिर को सिद्ध पीठ भी कहा जाता है| 
Bagha deval Arang
बागेश्वर नाथ महादेव मंदिर 

इसकी भी बनावट भी अद्वतीय है| मंदिर के चारो तरफ चट्टानों से उची  घेरा किया गया और द्वार के सामने शेर कि प्रतिमा और अनेक मुर्तिया है| मंदिर में एक अति प्राचीन कुवा है और मंदिर के सामने हनुमान जी का मंदिर है|    

mahamaya Arang


            

Arang
इसी स्थान पर भगवान कृष्ण ने अर्जुण का घमण्ड तोडा था।  और  अपने परम भक्त मोरजध्वज की  परीक्षा ली  थी यहाँ पर राजा मोरजध्वज ने अपने पुत्र को आरी से काटकर भगवान श्री कृष्ण  के शेर को खिलाया था। और  भगवान  ने उसकी सच्ची अतिथि भक्ति तथा अपने वचन पर कायम रहने के कारन उसको वरदान दिया था जिस कारण  यह स्थान परम तीर्थ बन गया 

2 comments:

  1. A bit inside but worth watching the carvings on the walls

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  2. I feel really proud on our ancient architecture techniques As they made it in that time.

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