Saturday, December 23, 2017

Lakshagraha Of Khallari - Bhimkhoj (महाभारत कालीन लाक्षागृह के दर्शन खल्लारी मे करे। ..)


लाखेसरी गुड़ी 


लाक्षागृह के दर्शन:- प्राचीन मंडपनुमा खंडहर (लखेसरी गुड़ी ) 

जनश्रुति के अनुसार कहा जाता है| की पाण्डव  पुत्र, व  माता कुंती वारणाव्रत के दौरान खलवाटिका (खल्लारी ) आये थे तभी सकुनी के द्वारा  इस स्थान पर पांडवो को मारने  के लिए लाख से निर्मित एक महल का निर्माण खल्वाटिका में करवाया था| जब महल को आग में झोका गया तो सुरंग के रास्ते सभी पांडव माता कुंती के साथ  वहा से दूर सुरक्षित निकल गए | जहा से निकले उसे  वर्तमान में  लखेशरी गुड़ी कहा जाता है | जिसमे अभी भी कोयले के जले अवशेष मिलते है | आस पास निवासी के अनुसार पहले यह जंगल था व किसी सुरंग खंडहर के समान प्रतीत होता था मगर समय बीतते व अतिक्रमण के कारन इस स्थान का प्राकृतिक स्वरुप नस्ट हो गया है |   जिसके  अवशेष मात्र  यहाँ देख सकते है| खल्लारी बस्ती के कुम्हार व मेहर पारा के बीच  खेत में जर्जर हालत में स्थित है | तथा मंदिर के सभी पत्थर को कोई वहा से हटा दिया गया है | जिसमे छोटा शिवलिंग रखकरकुछ  त्योहार आदि में यहाँ पूजा अर्चना होता है | 

मंडपनुमा खंडहर-लाखेशरी गुड़ी   

  पुरातात्विक महत्त्व का स्थल होने के बावजूद पुरातत्व विभाग व खल्लारी मंदिर समिति इस पर ध्यान नहीं दे रहा है| ऐसा लगता है की कुछ वर्ष उपरांत यह स्थान से मंदिर समाप्त हो जायेगा | अभी भी समय है| सभी पत्थरो को ठीक से जमा कर चारो तरफ से घेरा कर पर्यटन आने वाले के लिए उचित रास्ता बनाकर इसे सजो कर रखा जा सकता है|

लाक्षागृह के अवशेष 

मेरा सभी भक्तो से  निवेदन है| की जब भी खल्लारी दर्शन को आये तो लखेशरी गुड़ी जरूर जाये और मंदिर प्रशासन को इसे संरक्षित करने के लिए आग्रह करे |  पौराणिक धरोहर को हम ऐसे ही नहीं छोड़ सकते है|  
khallari mandir
खल्लारी माता पहाड़ी ऊपर वाली 

khallari temple
खल्लारी मंदिर -प्रवेश द्वार 

maa khallari bhimkhoj,mahasamund
खल्लारी माता निचे वाली 

bhim in khallari
भीम पाव ,भीम चूल 

khallari bagbahra
डोंगा पत्थर 
टिप :- यदि संरक्षित नहीं किया गया तो इसे अंतिम दर्शन मान के चले बाकि माँ खल्लारी के कृपा के ऊपर है|